विजय देवरकोंडा की ‘किंगडम’: बॉक्स ऑफिस का किंग या राजनीतिक मोहरा? विवाद का पूरा मामला.
नमस्कार दोस्तों, आपके फ़िल्मी दोस्त का सलाम!
जब भी कोई फिल्म रिलीज़ होती है, तो उसके बारे में बात तो होती ही है… लेकिन कुछ फ़िल्में सिर्फ बातें नहीं, बल्कि विवाद लेकर आती हैं। और ऐसी ही एक फिल्म है विजय देवरकोंडा की ‘Kingdom’.

Gowtam Tinnanuri के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर तो कमाल कर दिया है। जबरदस्त ओपनिंग और शानदार कलेक्शन से इसने साबित कर दिया कि विजय देवरकोंडा का स्टारडम अभी भी बरकरार है। लेकिन पर्दे के बाहर, यह फिल्म एक गहरे विवाद में फंस गई है।
तो चलिए, आज हम इसी मुद्दे पर बात करते हैं: ‘Kingdom’ एक बॉक्स ऑफिस किंग है या एक राजनीतिक पंगा?
क्या है ‘Kingdom’ का विवाद?
फिल्म में एक कहानी है जो 1920 के दशक से शुरू होकर 70 साल बाद तक चलती है। कहानी में एक पुलिस कांस्टेबल सूरी अपने भाई की तलाश में श्रीलंका के जाफना पहुँचता है। यहीं से शुरू होता है पूरा बवाल।
खबरों के मुताबिक, फिल्म में श्रीलंका के तमिलों को गलत तरीके से दिखाया गया है और उनके नेता को एक नेगेटिव शेड में पेश किया गया है। तमिलनाडु में कुछ राजनीतिक पार्टियों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है और सिनेमाघरों के बाहर विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं। उनका आरोप है कि फिल्म में एक समुदाय को आतंकवादी के रूप में दिखाया गया है, जो बेहद आपत्तिजनक है।
यह कोई पहली बार नहीं है जब किसी फिल्म पर श्रीलंका के तमिलों को गलत तरीके से दिखाने का आरोप लगा हो। पहले भी कई फिल्मों को ऐसे ही विरोध का सामना करना पड़ा है।
बॉक्स ऑफिस पर ‘Kingdom’ का जलवा
दिलचस्प बात यह है कि जहाँ एक तरफ़ फिल्म पर राजनीतिक विरोध हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ़ दर्शक इसे हाथों-हाथ ले रहे हैं। रिलीज़ के पहले ही दिन इस फिल्म ने 15 करोड़ से ज़्यादा की कमाई की थी। पहले 3-4 दिनों में ही फिल्म ने 40 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है, जो विजय देवरकोंडा के करियर के लिए एक बड़ी वापसी मानी जा रही है।
फिल्म का एक्शन, विजय देवरकोंडा की दमदार परफॉर्मेंस और अनिरुद्ध का BGM—इन सब की तारीफ़ हो रही है। दर्शक इन सारी बातों को किनारे रखकर फिल्म को एन्जॉय कर रहे हैं, जो यह साबित करता है कि अच्छी कहानी और शानदार मेकिंग आज भी दर्शकों को थिएटर तक खींच सकती है।
तो, किसका पलड़ा भारी है?
यह कहना मुश्किल है कि कौन सही है और कौन गलत। फ़िल्में हमेशा से समाज और राजनीति का आइना रही हैं। कई बार फ़िल्में ऐसी बातें कह जाती हैं जिन पर विवाद होना स्वाभाविक है। लेकिन यहाँ सोचने वाली बात यह है कि क्या दर्शक अब विवादों को उतना महत्व नहीं दे रहे हैं? क्या वे सिर्फ अच्छी एंटरटेनमेंट चाहते हैं?
‘Kingdom’ के मामले में तो यही लगता है कि जनता ने विवादों पर ध्यान न देकर फिल्म को उसकी कहानी और परफॉर्मेंस के लिए पसंद किया है।
आपकी इस पर क्या राय है? क्या आपको लगता है कि फिल्म में दिखाया गया portrayal सही है? या ये सिर्फ एक political gimmick है? अपनी राय हमें कमेंट्स में ज़रूर बताएं!